बीजापुर

बस्तर मे अयोध्या की तर्ज पर बनेगा मंदिर जमीन दी दान , कारण बस्तर मे धर्मांतरण रोकना

रवि कुमार रापर्ती
छत्तीसगढ़ के बस्तर में दूसरा अयोध्या बनने जा रहा है। घाट लोहंगा गांव में करीब डेढ़ एकड़ जमीन पर अयोध्या की तर्ज पर प्रभु श्री राम के मंदिर का निर्माण काम किया जाएगा। मंदिर का स्ट्रक्चर अयोध्या के श्री राम मंदिर की तरह ही होगा। लेकिन इसका आकार छोटा होगा। बस्तर में राम मंदिर बनाने के लिए आदिवासी समाज के सदस्य और पूर्व MLA राजा राम तोडेम ने अपनी डेढ़ एकड़ जमीन दान की है। उनका कहना है कि बस्तर में हो रहे धर्मांतरण को रोकना है और आदिवासियों को आस्था से जोड़े रखना है।
दरअसल, प्रभु श्री राम का बस्तर से एक खास नाता रहा है। अपने वनवास काल के दौरान भगवान राम ने ज्यादातर समय बस्तर जिसे पहले दंडकारण्य कहा जाता था यहां के जंगलों में बिताया है। अब बस्तर की जीवनदायिनी कही जाने वाली इंद्रावती नदी के किनारे बसे घाट लोहंगा गांव में मंदिर बनेगा। खास बात है कि, इस मंदिर में भगवान राम के वनवास काल के दौरान बस्तर से जुड़ी कहानियों को चित्रों और मूर्तियों के रूप में उकेरा जाएगा।
रायपुर-जगदलपुर नेशनल हाईवे पर इंद्रावती नदी के किनारे घाट लोहंगा गांव बसा हुआ है। संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से इस गांव की दूरी लगभग 10 किमी है। आदिवासी समाज के सदस्य राजा राम तोडेम ने साल 2003 में यहां करीब 1 एकड़ 38 डिसमिल जमीन खरीदी थी। उन्होंने उसी समय मन बनाया था कि यहां भगवान श्री राम का मंदिर बनाया जाएगा। हालांकि, पैसों की कमी की वजह से काम शुरू नहीं हो पाया था।
पहले बनाया था हनुमान मंदिर
साल 2007 में जमीन के एक हिस्से में हनुमान भगवान का मंदिर बनाया था। उन्होंने बताया कि, उस इलाके में हनुमान भगवान का यह पहला मंदिर है। लोगों की आस्था भी जुड़ी। लेकिन, उस समय। भी भगवान राम का मंदिर बनाने का काम शुरू नहीं हो पाया। अब साल 2007 के बाद साल 2023 के शारदीय नवरात्र में राम मंदिर बनाने की नींव रखी गई है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो साल 2024 के चैत्र नवरात्र से काम भी शुरू किया जा सकता है।
अयोध्या की तर्ज पर बनेगा मंदिर
राजाराम ने कहा कि, सबसे पहले हनुमान भगवान के मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा। फिर अयोध्या में बने भगवान श्री राम के मंदिर का हूबहू स्ट्रक्चर बनाने की प्लानिंग है। आर्केटेक से डिजाइन बनवाई जा रही है। हालांकि, इस मंदिर का आकार अयोध्या से छोटा रहेगा। जब भगवान श्री राम अपने वनवास काल के दौरान दंडकारण्य आए थे तो उस समय वे जिन-जिन जगहों पर गए थे, उनसे जुड़ी किवदंतियां-कहानियों को मूर्तियों और चित्रों के माध्यम से उकेरा जाएगा। ताकि, नई पीढ़ी को भी जानकारी मिल सके।

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